Monday, June 12, 2017

माॅ गंगा मैय्या मंदिर ‘‘झलमला‘‘ GANGA MAIYYA TEMPLE JHALMALA BALOD

माॅ गंगा मैय्या मंदिर ‘‘झलमला‘‘
              श्रद्धा एवं आस्था का प्रतीक गंगा मईया मंदिर ग्राम-झलमला में स्थित है जो कि जिला मुख्यालय बालोद से चार किलोमीटर की दूरी पर है। यह अब छत्तीसगढ़ राज्य का एक समग्र तीर्थ स्थल बन गया है। अखण्ड ज्योति कलश, प्रवचन, हवन, शोभायात्रा, धर्म जागरण आदि का आयोजन अब गंगा मैया मंदिर की एक परम्परा बन चुकी है।
 GANGAA MAIYYA


              माॅ गंगा मैया के मंदिर के संदर्भ में अपना एक अलग इतिहास है:- ग्राम हीरापुर और झलमला बस्ती के मध्य प्राचीन समय में एक तालाब खुदाई की गई थी। जिसका नाम था ‘‘बांधा तालाब‘‘। जिसमें दोनों गांव का निस्तारी कार्य होता था। किवदंती है कि एक दिन निकट के ग्राम सिवनी का एक केंवट मछली पकड़ने के लिए उक्त तालाब में जाल डाल दिया, जिसमें मछली तो नहीं फंसी लेकिन जाल में एक पाषाण प्रतिमा तालाब से बाहर आयी। केंवट ने अज्ञानतावश उसे साधारण पत्थर समझकर पुनः तालाब में डाल दिया। कहा जाता है कि उस दिन कंेवट के जाल में मछली न फंस कर वह प्रतिमा बार-बार फंसती थी और केंवट हर बार उसको तालाब में डाल देता था। अंत में केंवट थक हार कर घर वापस चला गया। कंेवट से उपेक्षित हो देवी ने उसी गाॅव के गोंड़ जाति के बैगा को स्वप्न में आकर कहा कि ‘‘मैं जल के अंदर हूॅ, कई बार केंवट के जाल में आई परन्तु उसने मेरा तिरस्कार किया। मुझे जल से निकाल कर मेरी प्राण-प्रतिष्ठा करा दो‘‘। स्वप्न की सत्यता जानने के लिए झलमला के तत्कालीन मालगुजार श्री छबि प्रसाद तिवारी, कंेवट, ग्राम बैगा तथा गाॅव के अन्य लोगों द्वारा पुनः तालाब पहुुंचकर एवं जाल डालकर वह प्रतिमा तालाब से बाहर निकाली गई। उसके बाद ग्रामीणों द्वारा उक्त पाषाण प्रतिमा को एक पेड़ के नीचे रख पूजा-पाठ किया जाता रहा। तब पूरा क्षेत्र जंगलों से आच्छादित था, लोगों का आवागमन नहीं के बराबर था। उक्त प्रतिमा वर्षाें पेड़ के नीचे पड़े जमीन में पुनः समा गई जिसका प्रादुर्भाव वर्षों बाद तब हुआ जब 1906 में ब्रिटिश शासन के आदेशानुसार तान्दुला जलाशय के लिए मुख्य नहर की खुदाई कार्य किया जा रहा था।  तभी गढ्ढा खोदने वालों ने देखा की एक पाषाण-प्रतिमा जमीन में धंसी हुई है। यह जानकारी अंग्रेज इंजीनियर मिस्टर एडम स्मिथ को दी गई। फिर उन्होंने मुख्य नहर के रास्ते से मूर्ति को हटाकर वर्तमान में स्थित स्थल पर मूर्ति को रखवा दिया। इस पर लोगों ने अंग्रेज इंजीनियर को मुख्य नहर का रास्ता बदलकर मूर्ति को उसके स्थल पर ही रखने की बाते कही। परन्तु उस पर इन बातों का कोई असर नहीं हुआ । किवदन्ती है कि देवी ने भी अंगे्रज इंजीनियर को स्वप्न दिया कि नहर का रास्ता बदल, परंतु सपना का कोई असर इंजीनियर पर नहीं हुआ। कहा जाता है कि मूर्ति हटाने वाले कुछ लोग उसी दिन मौत की नींद सो गये तथा एडम साहब भी घटना के बाद अर्द्ध विक्षिप्त होकर घूमते रहे और जिस जलाशय का निर्माण कराया था उसी जलाशय में डूब कर उनकी मृत्यु हो गई।
JYOTI KALASH TEMPLE
                         उस समय घास-फूस की झोपड़ी में प्रतिमा रखी गई थी। गंगा मैया का महत्व केवल ग्राम देव या गृह देव के स्तर का था। वर्ष में बैगाओं द्वारा बलि प्रथा की जाती थी। ग्राम झलमला, हीरापुर, सिवनी के लोग वर्ष में एक बार मड़ई मनाने यहाॅ आते थे। समय बीतता गया और गंगा मैया का पुण्य प्रताप लोगों के मध्य प्रवाहित होने लगा। इसी बीच 1977 में ग्राम झलमला के प्रमुख निवासी भीखम चंद टावरी जी को गंगा मैया मंदिर की सुध लेने का विचार आया। श्री टावरी ने मूर्ति स्थल में पूजा-पाठ कराया, उनकी रचना धर्मिता से प्रभावित आसपास के श्रद्धालुओं ने चार ज्योति कलश प्रज्वलित किया था, जो वर्तमान में हजारों के तादाद में बढ़ गयी है और बढ़ गया है माॅ गंगा मैया का वैभव यश, कीर्ति। आज लाखों श्रद्धालु इस पावन मंदिर में आकर अपनी मनोकामना पूरी करते है। मंदिर ट्रस्ट में सोहन लाल टावरी के भगीरथ प्रयास से भारत भूमि के शंकराचार्य के अलावा एक से बढ़कर एक एवं प्रवचनकर्ता माॅ गंगा मैया के दरबार में अपनी हाजरी देते हैं।
GANGA MAIYYA TEMPLE
वर्तमान में गंगा मैया मंदिर ट्रस्ट के रूप में संचालित है। मंदिर ट्रस्ट का गठन 1989 में हुआ। उपरोक्त मंदिर कुल रकबा 0.75 हेक्टेयर पर संस्थापित है। जहाॅ प्रतिवर्ष दो बार क्वांर एवं चैत्र नवरात्रि में सर्व मनोकामना पूर्ण 801 ज्योति कलश की स्थापना की जाती है। दोनों नवरात्रि में नौ दिनों का मेला लगता है। यहाॅ उक्त अवधि में लाखों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। गंगा मैया मंदिर स्थल पर ज्योति कलश भवन के अलावा विश्राम गृह, स्नान गृह एवं अन्य देवी-देवताओं की मूर्ति स्थापित है। यहाॅ प्रान्त के अलावा अन्य प्रांतों एवं विदेशों से भी दर्शनार्थी दर्शन हेतु आते हैं। 

                                                                                                               तनवीर खान बालोद ☺

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