तान्दुला जलाशय
अंग्रेजों के शासनकाल में निर्मित तांदुला जलाशय (1902 - 1912) पर्यटकों के लिए भी महत्वपूर्ण है जो भिलाई इस्पात सयंत्र को जल आपूर्ति के अलावा पड़ोसी जिले दुर्ग तथा बेमेतरा को भी जल आपूर्ति कराती है। इसके विश्राम गृह को पर्यटन विभाग ने ‘‘सुआ लेक व्यू‘‘ के रूप में विकसित किया है। जिला मुख्यालय से लगभग 05 किलोमीटर दूर तांदुला नदी और सुखा नाला पर वर्ष 1912 में तांदुला जलाशय का निर्माण किया गया। वर्ष 2012 में तांदुला जलाशय का शताब्दि समारोह मनाया गया । बांध की अधिकतम उंचाई 25 मीटर और उलट की लंबाई 753 मीटर है।
तांदुला बांध उलट के समय |
तांदुला बांध उलट के समय |
![]() |
मुख्य नहर तांदुला बांध |
तांदुला जलाशय को अधिक से अधिक जन उपयोगी बनाने हेतु तांदुला जलाशय की मुख्य नहर प्रणाली की लाइनिंग की जा चुकी है तथा प्रमुख वितरक प्रणालियों की लाइनिंग का कार्य क्रमशः कराया जा रहा है। सुचारू संधारण, जीर्णोद्वार, लाइनिंग के फलस्वरूप 100 वर्ष पुरानी जलाशय एवं नहर प्रणाली जल की आवश्यकता संबंधी प्रयोजनों को पूरा करने में आज भी सक्षम है। तांदुला जलाशय के निर्माण कार्य में रूपांकित क्षमता 54000 हेक्टेयर के विरूद्ध वर्तमान में तांदुला काम्प्लेक्स द्वारा 1,03,000 हेक्टेयर सिंचाई क्षमता निर्मित कर ली गई है। तांदुला संयोजन के द्वारा वर्तमान में निम्न बहुद्देशीय प्रयोजनों हेतु जल आपूर्ति की जाती है:-
![]() |
सहयोगी नहर गोंदली |
तांदुला बांध मे सांयकाल का दृश्य संकलन - तनवीर खान बालोद |
1. बालोद, दुर्ग एवं बेमेतरा जिलों के अंतर्गत कमांड क्षेत्र में सिंचाई हेतु जल आपूर्ति ।
2. भिलाई इस्पात संयंत्र को आद्योगिक जल की आपूर्ति ।
3. दुर्ग एवं भिलाई नगर निगम हेतु पेयजल आपूर्ति तथा नगरीय क्षेत्रों के तालाबों में निस्तारी
4. उल्लेखित तीनों जिलों के ग्रामीण तालाबों में निस्तारी जल की आपूर्ति की जाती है।
No comments:
Post a Comment