Archaeological discoveries and culture in Balod
Wednesday, March 21, 2018
Monday, June 12, 2017
कपिलेश्वर मंदिर समूह KAPILESHWAR GROUP OF TEMPLE
कपिलेश्वर मंदिर समूह
बालोद नगर के उत्तरीय भाग में नयापारा वार्ड में स्थित कपिलेश्वर मंदिर समूह में प्राचीन काल के छह मंदिर है और मंदिरो के मध्य चैकोर कुण्ड है। जिसे कपिलेश्वर मंदिर समूह के नाम से जाना जाता है। नागवंशी गोड़ शासकों द्वारा निर्मित प्राचीन कुण्ड एवं कपिलेश्वर मंदिर जिसके दोनो पाश्र्व में विशाल गणेश प्रतिमा दर्शनीय है। कपिलेश्वर मंदिर समूह में माॅ दुर्गा, श्रीराम, लक्ष्मण, श्री गणेश, श्री कृष्ण मंदिर प्रमुख है। मंदिरों की बनावटें कलात्मक है।
यहाॅ पर महाशिवरात्रि के अवसर पर तीन दिवसीय विशाल मेला का आयोजन किया जाता है। इसी अवसर पर समिति द्वारा कपिलेश्वर महोत्सव मनाया जाता है।
संकलन - तनवीर खान बालोद
तान्दुला जलाशय TANDULA DAM BALOD
तान्दुला जलाशय
अंग्रेजों के शासनकाल में निर्मित तांदुला जलाशय (1902 - 1912) पर्यटकों के लिए भी महत्वपूर्ण है जो भिलाई इस्पात सयंत्र को जल आपूर्ति के अलावा पड़ोसी जिले दुर्ग तथा बेमेतरा को भी जल आपूर्ति कराती है। इसके विश्राम गृह को पर्यटन विभाग ने ‘‘सुआ लेक व्यू‘‘ के रूप में विकसित किया है। जिला मुख्यालय से लगभग 05 किलोमीटर दूर तांदुला नदी और सुखा नाला पर वर्ष 1912 में तांदुला जलाशय का निर्माण किया गया। वर्ष 2012 में तांदुला जलाशय का शताब्दि समारोह मनाया गया । बांध की अधिकतम उंचाई 25 मीटर और उलट की लंबाई 753 मीटर है।
तांदुला बांध उलट के समय |
तांदुला बांध उलट के समय |
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मुख्य नहर तांदुला बांध |
तांदुला जलाशय को अधिक से अधिक जन उपयोगी बनाने हेतु तांदुला जलाशय की मुख्य नहर प्रणाली की लाइनिंग की जा चुकी है तथा प्रमुख वितरक प्रणालियों की लाइनिंग का कार्य क्रमशः कराया जा रहा है। सुचारू संधारण, जीर्णोद्वार, लाइनिंग के फलस्वरूप 100 वर्ष पुरानी जलाशय एवं नहर प्रणाली जल की आवश्यकता संबंधी प्रयोजनों को पूरा करने में आज भी सक्षम है। तांदुला जलाशय के निर्माण कार्य में रूपांकित क्षमता 54000 हेक्टेयर के विरूद्ध वर्तमान में तांदुला काम्प्लेक्स द्वारा 1,03,000 हेक्टेयर सिंचाई क्षमता निर्मित कर ली गई है। तांदुला संयोजन के द्वारा वर्तमान में निम्न बहुद्देशीय प्रयोजनों हेतु जल आपूर्ति की जाती है:-
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सहयोगी नहर गोंदली |
तांदुला बांध मे सांयकाल का दृश्य संकलन - तनवीर खान बालोद |
1. बालोद, दुर्ग एवं बेमेतरा जिलों के अंतर्गत कमांड क्षेत्र में सिंचाई हेतु जल आपूर्ति ।
2. भिलाई इस्पात संयंत्र को आद्योगिक जल की आपूर्ति ।
3. दुर्ग एवं भिलाई नगर निगम हेतु पेयजल आपूर्ति तथा नगरीय क्षेत्रों के तालाबों में निस्तारी
4. उल्लेखित तीनों जिलों के ग्रामीण तालाबों में निस्तारी जल की आपूर्ति की जाती है।
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तान्दुला जलाशय
Location:
Balod, Chhattisgarh, India
माॅ गंगा मैय्या मंदिर ‘‘झलमला‘‘ GANGA MAIYYA TEMPLE JHALMALA BALOD
माॅ गंगा मैय्या मंदिर ‘‘झलमला‘‘
श्रद्धा एवं आस्था का प्रतीक गंगा मईया मंदिर ग्राम-झलमला में स्थित है जो कि जिला मुख्यालय बालोद से चार किलोमीटर की दूरी पर है। यह अब छत्तीसगढ़ राज्य का एक समग्र तीर्थ स्थल बन गया है। अखण्ड ज्योति कलश, प्रवचन, हवन, शोभायात्रा, धर्म जागरण आदि का आयोजन अब गंगा मैया मंदिर की एक परम्परा बन चुकी है।
GANGAA MAIYYA |
माॅ गंगा मैया के मंदिर के संदर्भ में अपना एक अलग इतिहास है:- ग्राम हीरापुर और झलमला बस्ती के मध्य प्राचीन समय में एक तालाब खुदाई की गई थी। जिसका नाम था ‘‘बांधा तालाब‘‘। जिसमें दोनों गांव का निस्तारी कार्य होता था। किवदंती है कि एक दिन निकट के ग्राम सिवनी का एक केंवट मछली पकड़ने के लिए उक्त तालाब में जाल डाल दिया, जिसमें मछली तो नहीं फंसी लेकिन जाल में एक पाषाण प्रतिमा तालाब से बाहर आयी। केंवट ने अज्ञानतावश उसे साधारण पत्थर समझकर पुनः तालाब में डाल दिया। कहा जाता है कि उस दिन कंेवट के जाल में मछली न फंस कर वह प्रतिमा बार-बार फंसती थी और केंवट हर बार उसको तालाब में डाल देता था। अंत में केंवट थक हार कर घर वापस चला गया। कंेवट से उपेक्षित हो देवी ने उसी गाॅव के गोंड़ जाति के बैगा को स्वप्न में आकर कहा कि ‘‘मैं जल के अंदर हूॅ, कई बार केंवट के जाल में आई परन्तु उसने मेरा तिरस्कार किया। मुझे जल से निकाल कर मेरी प्राण-प्रतिष्ठा करा दो‘‘। स्वप्न की सत्यता जानने के लिए झलमला के तत्कालीन मालगुजार श्री छबि प्रसाद तिवारी, कंेवट, ग्राम बैगा तथा गाॅव के अन्य लोगों द्वारा पुनः तालाब पहुुंचकर एवं जाल डालकर वह प्रतिमा तालाब से बाहर निकाली गई। उसके बाद ग्रामीणों द्वारा उक्त पाषाण प्रतिमा को एक पेड़ के नीचे रख पूजा-पाठ किया जाता रहा। तब पूरा क्षेत्र जंगलों से आच्छादित था, लोगों का आवागमन नहीं के बराबर था। उक्त प्रतिमा वर्षाें पेड़ के नीचे पड़े जमीन में पुनः समा गई जिसका प्रादुर्भाव वर्षों बाद तब हुआ जब 1906 में ब्रिटिश शासन के आदेशानुसार तान्दुला जलाशय के लिए मुख्य नहर की खुदाई कार्य किया जा रहा था। तभी गढ्ढा खोदने वालों ने देखा की एक पाषाण-प्रतिमा जमीन में धंसी हुई है। यह जानकारी अंग्रेज इंजीनियर मिस्टर एडम स्मिथ को दी गई। फिर उन्होंने मुख्य नहर के रास्ते से मूर्ति को हटाकर वर्तमान में स्थित स्थल पर मूर्ति को रखवा दिया। इस पर लोगों ने अंग्रेज इंजीनियर को मुख्य नहर का रास्ता बदलकर मूर्ति को उसके स्थल पर ही रखने की बाते कही। परन्तु उस पर इन बातों का कोई असर नहीं हुआ । किवदन्ती है कि देवी ने भी अंगे्रज इंजीनियर को स्वप्न दिया कि नहर का रास्ता बदल, परंतु सपना का कोई असर इंजीनियर पर नहीं हुआ। कहा जाता है कि मूर्ति हटाने वाले कुछ लोग उसी दिन मौत की नींद सो गये तथा एडम साहब भी घटना के बाद अर्द्ध विक्षिप्त होकर घूमते रहे और जिस जलाशय का निर्माण कराया था उसी जलाशय में डूब कर उनकी मृत्यु हो गई।
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JYOTI KALASH TEMPLE |
उस समय घास-फूस की झोपड़ी में प्रतिमा रखी गई थी। गंगा मैया का महत्व केवल ग्राम देव या गृह देव के स्तर का था। वर्ष में बैगाओं द्वारा बलि प्रथा की जाती थी। ग्राम झलमला, हीरापुर, सिवनी के लोग वर्ष में एक बार मड़ई मनाने यहाॅ आते थे। समय बीतता गया और गंगा मैया का पुण्य प्रताप लोगों के मध्य प्रवाहित होने लगा। इसी बीच 1977 में ग्राम झलमला के प्रमुख निवासी भीखम चंद टावरी जी को गंगा मैया मंदिर की सुध लेने का विचार आया। श्री टावरी ने मूर्ति स्थल में पूजा-पाठ कराया, उनकी रचना धर्मिता से प्रभावित आसपास के श्रद्धालुओं ने चार ज्योति कलश प्रज्वलित किया था, जो वर्तमान में हजारों के तादाद में बढ़ गयी है और बढ़ गया है माॅ गंगा मैया का वैभव यश, कीर्ति। आज लाखों श्रद्धालु इस पावन मंदिर में आकर अपनी मनोकामना पूरी करते है। मंदिर ट्रस्ट में सोहन लाल टावरी के भगीरथ प्रयास से भारत भूमि के शंकराचार्य के अलावा एक से बढ़कर एक एवं प्रवचनकर्ता माॅ गंगा मैया के दरबार में अपनी हाजरी देते हैं।
GANGA MAIYYA TEMPLE |
वर्तमान में गंगा मैया मंदिर ट्रस्ट के रूप में संचालित है। मंदिर ट्रस्ट का गठन 1989 में हुआ। उपरोक्त मंदिर कुल रकबा 0.75 हेक्टेयर पर संस्थापित है। जहाॅ प्रतिवर्ष दो बार क्वांर एवं चैत्र नवरात्रि में सर्व मनोकामना पूर्ण 801 ज्योति कलश की स्थापना की जाती है। दोनों नवरात्रि में नौ दिनों का मेला लगता है। यहाॅ उक्त अवधि में लाखों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। गंगा मैया मंदिर स्थल पर ज्योति कलश भवन के अलावा विश्राम गृह, स्नान गृह एवं अन्य देवी-देवताओं की मूर्ति स्थापित है। यहाॅ प्रान्त के अलावा अन्य प्रांतों एवं विदेशों से भी दर्शनार्थी दर्शन हेतु आते हैं।
तनवीर खान बालोद ☺
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